मुंबई: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बजट (Budget 2021-22) में प्राइवेटाइजेशन पर जोर दिए जाने को लेकर विपक्ष के परिवार के गहने बेचने के आरोप को रविवार को कमजोर करार दिया. उन्होंने कहा कि पहले की सभी सरकारों ने डिसइनवेस्टमेंट किया है.
वित्त मंत्री ने कारोबारियों की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘नरेंद्र मोदी सरकार ने तो एक बार में एक कंपनी बेचने के बजाय इस बारे में स्पष्ट नीति तैयार की है, कि किन कंपनियों का डिसइनवेस्टमेंट किया जाना चाहिए और किन रणनीतिक क्षेत्रों को नहीं छुआ जाना चाहिए.’ बताते चलें कि बजट में पब्लिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक सरकारी बीमा कंपनी को बेचने का प्रस्ताव किया गया है. विपक्ष लगातार इसकी आलोचना कर रहा है. विपक्ष ने इसे परिवार के गहने बेचना करार दिया है.
‘घर के जेवर को ठोस बनाया जाता है कमजोर नहीं’
वित्त मंत्री ने कहा, ‘जो विपक्ष का आरोप है कि घर के गहने बेचे जा रहे हैं, ऐसा नहीं है. घर के जेवर को ठोस बनाया जाता है, इसे हमारी ताकत होनी चाहिए. चूंकि आपने इतने खराब तरीके से इनपर खर्च किया कि इनमें से कई चल पाने में सक्षम नहीं हैं. कुछ ऐसे हैं, जो बेहतर कर सकते हैं, लेकिन उनके ऊपर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया.’ उन्होंने कहा कि अतीत के समाजवादी मुहर वाले सुधारों के बाद भी कारोबार बाधित हुआ. कई सरकारी कंपनियां ऐसी हैं, जिनके पास प्रोफेशनल एक्सपर्ट्स की कमी है. अभी कुछ सरकारी कंपनियां ऐसे क्षेत्रों में कारोबार कर रही हैं, जो रणनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण नहीं हैं.
ये भी पढ़ें:- देश को बदनाम करने वालों ने ‘भारत की चाय को भी नहीं छोड़ा’: नरेंद्र मोदी
‘सरकार ने कभी कोविड-19 टैक्स के बारे में नहीं सोचा’
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि सरकार का उद्देश्य इस नीति के माध्यम से ऐसे एंटरप्राइज को सक्षम बनाना है. आपको उनकी आवश्यकता है, आपको उन्हें बड़े पैमाने पर ले जाने की आवश्यकता है ताकि वे बढ़ते भारत की आकांक्षाओं को पूरा करें. सरकार का कभी कोविड-19 टैक्स या सेस लगाने का विचार नहीं रहा है. मुझे नहीं पता कि मीडिया में इसकी चर्चा कैसे शुरू हुई. हमारा कभी ऐसा विचार नहीं रहा.
ये भी पढ़ें:- बिना इंटरनेट डिजिटल हुआ किसानों का आंदोलन, बनाया खुद का IT Cell
भारत को SBI जितने बड़े 20 संस्थानों की जरूरत
आज भारत की आकांक्षाओं और विकास जरूरतों के लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के आकार के 20 संस्थानों की जरूरत है. उन्होंने कहा कि IDBI के अनुभव से विकास वित्त संस्थान (DFI) का विचार आया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार द्वारा संचालित सिर्फ एक डीएफआई होगा और इसमें निजी क्षेत्र की भूमिका होगी. सीतारमण ने अर्थव्यस्था में आ रहे सुधार का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले तीन माह के दौरान माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह बढ़ा है.
LIVE TV